लेखनी प्रतियोगिता -24-Feb-2024 श्रृंगार या संघर्ष
"क्यों डांट रहे थे तेरे बड़े भैया।" वृंदा पूछती है?
"यह मेरे भाई नहीं मेरे चाचा है, कह रहे थे कल बड़े भैया आदित्य की बारात में महिलाएं लड़कियां नहीं जाएगी।" अनुपम बताती है
"देखने में तो यह यंग लग रहे हैं लेकिन इनके विचार 70, 80 वर्ष के बुजुर्गों जैसे है, इनके बीवी बच्चे तो इन से बहुत दुखी रहते होंगे।" वृंदा कहती है
"मम्मी पापा की एक्सीडेंट में डेथ के बाद इन्होंने ही हम दोनों भाई-बहन को अच्छी तरह पाल पोसकर कर बड़ा किया है, हम दोनों भाई-बहन की परवरिश में कोई कमी ना रह जाए इसलिए इन्होंने शादी भी नहीं की है, यह भैया आदित्य से 15 वर्ष और मुझसे आयु में 17 वर्ष बड़े हैं।" अनुपम बताती है
"यह क्या काम करते हैं।" वृंदा पूछती है
"रवि चाचा क्रिकेट अकादमी में कोंच है, यह रणजी ट्रॉफी भी खेल चुके हैं।" अनुपम बताती है
"तभी तो इनकी फिटनेस इतनी अच्छी है।" वृंदा कहती है
अनुपमा के चाचा रवि को दूर से देखने के बाद वृद्धा की उनसे एक बार बात करने की बहुत इच्छा होती है, इसलिए जब वह शाम को अनुपमा के घर उसके भाई की शादी के महिला संगीत में आती है, तो सबसे पहले अनुपमा के घर आकर उसके चाचा रवि को चारों तरफ ढूंढती है और रवि जब अचानक उसके सामने आ जाता है, तो उसके मुख से एक भी शब्द नहीं निकल पाता है।
वृंदा यह समझ नहीं पा रही थी कि मैं अपने से कम से कम आयु में 15,16 वर्ष बड़े युवक की तरफ आकर्षित क्यों होती जा रहे हैं और उसे अपनी खूबसूरती श्रृंगार से अपनी तरफ आकर्षित कैसे करूं ,क्योंकि रवि ने हमेशा जीवन में श्रृंगार से ज्यादा संघर्ष को महत्व दिया था।
खूबसूरत होने के साथ-साथ वृंदा अच्छी नृत्यांगना भी थी, इसलिए वह शादी के महिला संगीत में एक गाने पर नृत्य करती है और किसी भी तरह से अपना नृत्य रवि को दिखाने के लिए अनुपमा पर दबाव डालती है।
अनुपमा उसकी इस ख्वाहिश को पूरा कर देती है, लेकिन जब रवि वृंदा का नृत्य देखने के बाद उसकी तारीफ किए बिना वहां से चुपचाप चला जाता है तो पढ़ी-लिखी डांस स्कूल चलने वाली वृंदा समझ जाती है कि रवि कोमल दिल का नहीं बल्कि कठोर दिल का युवक है, लेकिन उसकी यह सोच गलत थी, क्योंकि रवि को जीवन में पहली बार श्रृंगार रस का महत्व समझ आया था।
वह वृंदा के नृत्य के साथ-साथ उसकी खूबसूरती श्रृंगार यानी की सजने-संवरने पर मोहित हो गया था, रवि को समझ आ गया था कि जीवन में संघर्ष के साथ अगर स्त्री पुरुष श्रृंगार को भी महत्व दे तो जीवन का संघर्ष आसान हो जाता है, क्योंकि श्रृंगार स्वयं को तो आनंद खुशी देता ही है बल्कि आपको देखने वालों को भी आपको देखकर अच्छा लगता क्योंकि भूत चुड़ैल को कोई भी देखना पसंद नहीं करता है, और तभी तो श्रृंगार रस को रसराज रसपति कहा गया है।
इसलिए रवि सुबह उठकर अनुपमा से कहता है "आज शाम को आदित्य की बारात में महिलाएं लड़कियां भी जाएगी और सब खूबसूरत दिखे इसलिए सब सज संवर कर श्रृंगार करके जाएंगी।" और पुरुषों लड़कों से भी कहता है ",सब खूब सज संवारकर खूबसूरत श्रृंगार करके शाम को बारात में जाना।"
जब रवि दूल्हे से ज्यादा श्रृंगार करके खूबसूरत और यंग दिखाई देता है तो वृंदा रवि को देकर उसे आई लव यू कहे बिना अपने को रोक नहीं पाती है।
वृंदा से शादी करने के बाद रवि के जीवन में संघर्ष तो रहता है, लेकिन वह संघर्ष उसे पहले जितना कड़ा और कठिन नहीं लगता है।
kashish
27-Feb-2024 02:34 PM
Amazing
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RISHITA
26-Feb-2024 04:25 PM
Superb
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Mohammed urooj khan
26-Feb-2024 01:58 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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